Inspirierende Reise in Ramesh: Bauernresilienz in Dürre
एक छोटे से गांव में एक किसान रहता था जिसका नाम रमेश था। वह अपने खेतों में दिन-रात मेहनत करता था। उसके पास कुछ गाय, बैल और एक छोटी सी बगिया थी,जिसमें वह फल और सब्जियाँ उगाता था। रमेश का जीवन बहुत साधारण था, लेकिन वह अपनी मेहनत और ईमानदारी से खुश रहता था। एक दिन,गांव में बुरी सूखा आ गया। बारिश नहीं हुई और फसलों को बहुत नुकसान हुआ। रमेश ने हार मानने के बजाय अपनी कोशिशों को और बढ़ा दिया। उसने पुराने तरीके से पानी की बचत करने और सिंचाई की नई तकनीक अपनाई। इसके साथ ही, उसने अपनी गायों से दूध बेचना शुरू किया और कुछ अतिरिक्त पैसे कमाए। कुछ महीनों बाद,बारिश हुई और खेतों में फिर से हरियाली छा गई। रमेश की मेहनत रंग लाई और उसकी फसलें फिर से लहलहाने लगीं। उसने समझा कि जीवन में मुश्किलें आएंगी,लेकिन मेहनत और धैर्य से सब कुछ सुलझ सकता है। अब वह एक प्रेरणा बन गया था, और गांव वाले उसे अपनी कठिनाइयों से उबरने की प्रेरणा लेते थे।

Mwang