विक्टोरियन बंदरगाह पर एक भूले हुए भिखारी की दिल छू लेने वाली कहानी
एक कमजोर महिला भिखारी एक धुंधले विक्टोरियन बंदरगाह के किनारे के पास घुटने टेक रही थी, उसका शरीर कभी महान कपड़ों के खंडहरों में लिपटा हुआ था। उसके पतले फ्रेम पर फटे हुए मखमल और फीके हुए फीते लटक रहे हैं, और उसके गले और कानों पर अभी भी टूटे हुए पन्ना के गहने लटक रहे हैं। उसकी पीली, गंदगी से सजी त्वचा और खोखले गाल भूख का संकेत देते हैं, जबकि उसकी पन्ना हरी आँखें, जो कि विशाल और विनती से भरी होती हैं। एक बार शाही के लिए उपयुक्त एक फटे हुए कोर्सेट के नीचे उसकी छाती धीरे उठती है। ठंडी धुंध उसे जंजीरों की तरह घेर लेती है, जबकि दूर में भूतमय जहाजों को देखा नहीं जा सकता है। उनकी उपस्थिति दुखद और दर्दनाक रूप से काव्य दोनों है।

Grace